प्रभु पर पूर्ण विश्वास होना मानव जीवन की सबसे
बड़ी उपलब्धि है । प्रभु केवल यह देखते हैं कि यह जीव संसार पर, धन पर, शक्ति पर और साधन पर
विश्वास करता है या केवल मेरे पर विश्वास करता है । जो केवल प्रभु पर विश्वास करते
हैं प्रभु उनका पूरा दायित्व उठाते हैं, उन्हें संकट से बचाते हैं और उनका
मंगल करते हैं । हम टैक्सी में बैठते हैं तो ड्राइवर का बिना लाइसेंस देखे ही उसपर
विश्वास कर उसके साथ यात्रा कर लेते हैं । हवाई जहाज में पायलट का बिना लाइसेंस देखे
ही विश्वास कर हवाई यात्रा कर लेते हैं पर जब प्रभु पर विश्वास करने का समय आता है
तो हम चूक जाते हैं ।
एक कस्बे में 3 वर्षों तक अकाल पड़ा । गांव वाले
बहुत परेशान थे । खेती सूख गई, पीने के पानी की किल्लत हो गई । ब्राह्मणों
से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 18 दिवसीय यज्ञ कराया जाए । यज्ञ प्रारंभ हुआ । सब
गांव वाले रोजाना यज्ञ में शामिल होने आते । पूर्णाहुति यानी यज्ञ के अंतिम दिन गांव
का एक छोटा बालक भी यज्ञ के दर्शन करने आया पर हाथ में छाता लेकर आया । तब तक
वर्षा के कोई आसार नहीं थे और धूप निकली हुई थी । गांव वालों ने बालक से मजाक में
पूछा कि छाता क्यों लाए हो ? बालक गंभीरता से बोला कि यज्ञ पूरा होते ही
यज्ञफल के रूप में प्रभु वर्षा करेंगे इसलिए मैं पहले से ही छाता लेकर आया हूँ । प्रभु
बालक की इस बात पर और इस विश्वास पर रीझ गए
और तुरंत देवतागणों से कहा कि पूरे कस्बे में मूसलाधार वर्षा करो । यज्ञ के तुरंत
बाद जोरदार वर्षा हुई और कई दिनों तक होती रही । अकाल का प्रभाव पूरी तरह से
समाप्त हो गया । यह क्यों हुआ ? सिर्फ उस छोटे बालक के प्रभु
में विश्वास के कारण । बड़ों को विश्वास नहीं था और वे असमंजस में थे कि धूप निकली
हुई है तो वर्षा कैसे हो सकती है पर छोटे बालक को पूर्ण विश्वास था कि यज्ञ के
तुरंत बाद प्रभु वर्षा करेंगे । प्रभु के राज्य में पूरा खेल ही प्रभु पर विश्वास
का है इसलिए प्रभु पर सदैव अटूट विश्वास रखना चाहिए ।