हर कर्म में प्रभु का अनुग्रह देखना चाहिए । जब
हम प्रभु पर विश्वास करते हैं तो सदैव प्रभु की कृपा हमारा मंगल ही करती है । प्रभु
को शास्त्रों में मंगल के भवन और अमंगल को हरने वाला कहा गया है और प्रभु ऐसा ही
करते हैं । हमें प्रभु पर विश्वास होना चाहिए कि प्रभु हमारा मंगल करेंगे तो हमारा
मंगल होता चला जाएगा । जिस क्रिया में शुरुआत में हमें अपना मंगल दिखाई नहीं देगा वह
भी अंत में हमारा मंगल करके ही जाएगा ।
एक राजा के यहाँ एक मंत्री था जो बड़ा प्रभु
भक्त था और जो भी होता उसके मुँह से भक्ति का कारण एक ही बात निकलती कि प्रभु ने
भली करी । एक बार राजा तलवारबाजी कर रहा था कि उसका अंगूठा कट गया । मंत्री के मुँह
से निकल गया प्रभु ने भली करी । राजा गुस्से में आ गया और मंत्री को कारागार में
डालने का आदेश दे दिया । जब राजा के सैनिकों ने पकड़ा तो मंत्री ने फिर यही कहा कि
प्रभु ने भली करी । हफ्ते भर बात राजा स्वस्थ हुआ तो शिकार खेलने निकला । जंगल में
शिकार की तलाश में बहुत आगे तक चला गया और अपने सैनिकों को पीछे छोड़ दिया । वह
राह भटक गया और संध्या होने लगी । तभी कुछ डाकुओं ने उसे पकड़ लिया क्योंकि डाकुओं
के सरदार को पुत्र प्राप्ति के लिए किसी नरबलि की जरूरत थी । राजा को लाया गया पर
उसका अंगूठा कटा देख पंडितजी ने मना कर दिया कि अंग-भंग होने के कारण वह बलि के लिए
उपयुक्त नहीं है । राजा को छोड़ दिया गया । राजा को एहसास हुआ कि जब मेरा अंगूठा
कटा था तब मंत्री ने कहा था कि प्रभु ने भली करी । अंगूठा न कटा होता तो आज मेरी
गर्दन कट जाती । तुरंत उसने राज्य में आकर मंत्री को कारागार से मुक्त किया और
माफी मांगी । फिर राजा ने पूछा कि मैंने तुमको कैद किया फिर इसमें प्रभु की कौन-सी कृपा थी ? मंत्री बोला कि मैं कैद नहीं होता तो हमेशा
की तरह शिकार में आपके साथ जाता । अंगूठा कटा होने के कारण आप तो बच जाते पर दूसरा
नंबर मेरा होता और मेरी बलि हो जाती क्योंकि मैं स्वस्थ था और मेरा कोई अंग-भंग नहीं था । राजा भी उस दिन से प्रभु का भक्त बन गया और मानने लग गया कि
हमारी हर क्रिया में प्रभु का अनुग्रह होता है ।