हमें हर परिस्थिति में खासकर विपत्ति की बेला
में प्रभु पर विश्वास दृढ़ रखना चाहिए । इससे उस विपत्ति से
प्रभु हमें निकाल लाते हैं और उस परिस्थिति पर हमारी विजय होती है । प्रभु पर
विश्वास इसलिए दृढ़ होना चाहिए क्योंकि हर विपरीत परिस्थिति भी प्रभु के एक इशारे
पर अनुकूल हो जाती है ।
एक संत अपने एक शिष्य के साथ समुद्र में जहाज
में यात्रा कर रहे थे । जहाज में काफी लोग थे । अचानक जोरदार तूफान आया और जहाज
पानी में डगमगाने लगा । सभी यात्री बुरी तरह से डर गए और प्रभु को पुकारने लगे । संत
अपने स्थान पर शांत बैठे रहे जैसे कुछ हुआ ही नहीं । उनका शिष्य दौड़ता हुआ आया और
पूछा कि आपको डर नहीं लग रहा कि जहाज तूफान के कारण डूब जाएगा । संत ने एक चाकू, जिसे वे फल सुधारने के लिए अपनी झोली में रखते थे, उसे निकाला
और शिष्य के गले पर लगा दिया । संत ने अपने प्रिय शिष्य से पूछा कि क्या चाकू से
तुम्हें डर नहीं लग रहा ? शिष्य बोला कि क्योंकि चाकू आपके हाथ में है और आप मेरा
बुरा नहीं करेंगे इसका मुझे पक्का विश्वास है इसलिए चाकू गले में लगने पर भी मुझे
डर नहीं लग रहा । संत ने चाकू गले से हटाया और कहा कि इसी तरह यह तूफान मेरे प्रभु
के हाथ है और मुझे भी पक्का विश्वास है कि प्रभु मेरा बुरा कभी नहीं करेंगे इसलिए
मुझे तूफान से डर नहीं लग रहा । अन्य यात्रियों को प्रभु पर विश्वास नहीं है इसलिए
वे डर रहे हैं और घबरा रहें हैं । अगर हम प्रभु पर विश्वास करते हैं तो विपत्ति का
डर कभी हमें सता नहीं सकता क्योंकि हमें पता होता है कि विपत्ति में हमारी रक्षा
करने के लिए प्रभु सदैव उपलब्ध हैं । विपत्ति से वही डरता है जिसको प्रभु पर
विश्वास नहीं होता । संत ने अपने शिष्य को आगे कहा कि जीवन में सदैव प्रभु पर अटूट
विश्वास बना कर रखना चाहिए ।