बहुत सारे लोग बचपन में नास्तिक होते हैं पर उन
पर प्रभु कृपा करते हैं और उनके जीवन में वे प्रभु का कुछ ऐसा चमत्कार देखते हैं जिससे प्रभु के लिए आस्था
कायम हो जाती है । आज ऐसी ही एक कथा आपको सुनाते हैं ।
एक शहर में एक अंग्रेजी दवाई की दुकान थी जिसका मालिक प्रभु का भक्त था । वह रोज सुबह और शाम दुकान में प्रभु की फोटो के आगे अगरबत्ती लगाता, हाथ जोड़ता और पाठ करता । यह देखकर उसका इकलौता बेटा मुस्कुराता क्योंकि वह नास्तिक था । पिता बूढ़ा हो गया था और जब अंत समय आया तो उसने अपने बेटे को बुलाया और कहा कि दुकान पर प्रभु की फोटो को देखकर हाथ जोड़ने और अगरबत्ती लगाने का नियम मुझे वचन के रूप में दो । अपने पिता की अंतिम इच्छा मानते हुए बेटे ने वचन स्वीकार कर लिया । पिता का देहांत हो गया और बेटा दुकान संभालने लगा । वह बिना मन के पिता को दिए वचन को निभाने के लिए प्रभु की फोटो पर रोज दो समय हाथ जोड़ता और अगरबत्ती लगाता । एक बार शाम 7 बजे बिजली चली गई और दुकान में अंधेरा छा गया । तभी एक आदमी आया और डॉक्टर की पर्ची दिखाकर कहा कि मेरी बूढ़ी माँ बहुत बीमार है और डॉक्टर ने कहा है कि घंटे भर में यह दवाई नहीं पिलाई तो माँ का बचना मुश्किल है । बेटे ने टॉर्च की रोशनी से पर्ची देखी, दवाई उसके पास थी और उसने पैसे लेकर दवाई की शीशी उस आदमी को दे दी । 10 मिनट बाद बिजली आई तो बेटा यह देखकर सन्न रह गया कि अंधेरे में गलती से उसने चूहे मारने की शीशी यानी जहर दे दिया है । उस आदमी का घर उसे पता नहीं था और उसके मन में विचार आया कि अब तक तो वह घर पहुँच गया होगा और उसकी माँ को दवाई यानी जहर पिला दिया होगा और वह बीमार माँ मर गई होगी । पसीने से लथपथ कांपते हुए प्रभु की फोटो के सामने जाकर सच्चे मन से जीवन में पहली बार प्रभु से प्रार्थना की कि ऐसा अनर्थ होने से रोक ले । तभी उसे उस आदमी की आवाज सुनाई दी । आदमी बोला कि वह अंधेरे में जा रहा था, फिसल गया, दवाई की शीशी गिर गई और फूट गई और दवाई रास्ते में बिखर गई इसलिए दोबारा उसी दवाई की शीशी दे दो । बेटे ने इस बार रोशनी में सही दवाई दे दी और प्रभु का धन्यवाद किया कि मेरे जहर देने के बाद भी आपने कृपा करके उसे माँ के मुँह तक नहीं पहुँचने दिया । इस घटना के बाद वह बेटा अपने पिता की तरह पूरा आस्तिक बन गया और प्रभु पर उसका विश्वास अटूट और दृढ़ हो गया ।