हमें प्रभु की भक्ति और भजन करने की आदत जीवन
में बनानी चाहिए पर हम इसके ठीक विपरीत गलत
चीजों की आदत बना लेते हैं जो हमें अंत में दुःख और क्लेश देकर जाती हैं ।
पुराने समय की बात है । कुछ गांव के बीच स्थित
पहाड़ियों में एक डाकुओं का समूह रहता था । उसके मुखिया डाकू को पकड़ने के लिए
पुलिस ने इनाम निकाल रखा था । पुलिस के खुफिया विभाग को पता चला कि डाकू अभी कुछ
समय बाद कुछ बड़ी वारदात करने वाले हैं । तो एक पुलिस वाला डाकूओं को पकड़ने के लिए उस जंगल में स्थित एक मंदिर में, जहाँ की कुछ संत रहते थे,
वहाँ एक संत का रूप बनाकर रहने लगा । उसका मकसद था डाकूओं का पता लगाना पर वह सुबह, दोपहर और शाम में मंदिर में संतों द्वारा किए जाने
वाले सत्संग में हिस्सा लेने लग गया क्योंकि वह संत का ढोंग कर रहा था । दो महीने
में सत्संग का प्रभाव ऐसा हुआ कि वह डाकूओं का पता तो लगा चुका
था पर वह अब सच्चा संत बन गया क्योंकि उसने मन से सत्संग का श्रवण किया था । उसने
डाकुओं का पता अपने विभाग को दिया और फिर हमेशा के लिए नौकरी से इस्तीफा देकर संत बनकर
उसी मंदिर में अन्य संतों के साथ रहने लग गया । सत्संग के प्रभाव से उसे प्रभु
भक्ति और भजन की आदत जीवन में सदैव के लिए लग गई और उसका कल्याण और मंगल हो गया ।