प्रभु पर विश्वास इतना होना चाहिए कि हमें कल की
चिंता नहीं होनी चाहिए और भविष्य का भय नहीं होना चाहिए । प्रभु हमारी व्यवस्था
करेंगे और हमारा मंगल विधान करेंगे ऐसा पक्का विश्वास हमारे मन में होना चाहिए ।
हमें अपना निहित कर्म करना चाहिए पर पूरा विश्वास प्रभु पर रखना चाहिए ।
एक व्यापारी था जिसकी पत्नी प्रभु की भक्त थी पर
व्यापारी नास्तिक था । उसने व्यापार में उल्टा सीधा काम करके सात पीढ़ियों के लिए
धन जमा कर लिया था पर फिर भी उसे रात में नींद नहीं आती थी । एक दिन उसकी पत्नी ने
पूछा तो उसने कहा कि सात पीढ़ियों तक की धन की व्यवस्था तो है पर मेरी आठवीं पीढ़ी
का क्या होगा, इसकी मुझे चिंता है । पत्नी बड़ी भक्त स्वभाव की और संतोषी थी तो
पत्नी ने सोचा कि इन्हें एक संत के पास ले जाया जाए । पत्नी कुछ भेंट की सामग्री
लेकर अपने पति के साथ एक बहुत पहुँचे हुए संत के पास पहुँची । संत को भेंट की
सामग्री अर्पण की तो संत ने अपनी पत्नी को बुलाकर पूछा कि कहाँ तक की व्यवस्था है ?
संत की पत्नी ने कहा कि अभी दोपहर का समय है और शाम तक के राशन की व्यवस्था अपने
पास है । तो संत ने भेंट की सामग्री लेने से मना कर दिया और कहा कि आज की व्यवस्था
प्रभु ने कर दी है और कल की चिंता उन्हें प्रभु पर भरोसे के कारण नहीं है । जब
व्यापारी ने यह सुना तो वह दंग रह गया कि प्रभु पर विश्वास के कारण संत को दूसरे
दिन की भी चिंता नहीं है जबकि मुझे अपनी आठवीं पीढ़ी की चिंता हो रही है । व्यापारी
समझ गया कि वह गलत रास्ते पर है । उसके मन में वैराग्य जग गया और उसने संत को अपना
गुरु बना लिया और प्रभु की भक्ति करने लग गया ।