जब हम प्रभु से अपने भजन के बदले कुछ नहीं मांगते
तो प्रभु स्वयं दर्शन देकर अपनी भक्ति का दान हमें
देते हैं और हमें अपना बना लेते हैं और अपनी गोद में समां लेते हैं ।
एक गांव में एक लड़का रहता था जो राजा से मिलना
चाहता था । एक दिन उसने एक संत से इसकी तरकीब पूछी तो संत ने कहा कि नया राजमहल बन
रहा है वहाँ जाकर लगन से काम करो पर मजदूरी मत लेना । वह लड़का ऐसा ही करने लग गया
। एक दिन राजा अपने नए राजमहल के निरीक्षण पर आया और उसने देखा कि वह लड़का बहुत
मेहनत से काम कर रहा है तो उसने अपने मंत्री से पूछा कि यह कौन है ? तो मंत्री ने बताया
कि यह लड़का बिना वेतन लिए दो महीने से पूरी लगन से काम कर रहा है । वेतन देने पर
यह कहता है कि राजा साहब का काम है इसलिए मुझे कुछ नहीं चाहिए । राजा ने तत्काल
उसे अपने पास बुलाया और उसकी निष्ठा देखकर प्रसन्न हो गया और उसे मंत्री बना दिया
। आगे उसकी और निष्ठा देखकर राजा ने अपनी पुत्री से कुछ समय बाद उसका विवाह कर दिया
और उसे युवराज पद पर बैठा दिया क्योंकि राजा को कोई लड़का नहीं था, केवल एक पुत्री थी । वह लड़का निष्काम बना रहा तो वह
युवराज बन गया, अगर निष्काम नहीं बनकर काम करता तो उसे दो महीने की मजदूरी मिल
जाती पर इससे ज्यादा कुछ नहीं मिलता । ऐसे ही हमें भी प्रभु के सामने निष्काम बने
रहना चाहिए तो हमें प्रभु मिल जाते हैं, नहीं तो हमें प्रभु से तुच्छ संसार के सुख मिलते हैं ।