हम प्रभु पर पूर्ण विश्वास रखते हैं तो प्रभु इस
विश्वास को पक्का निभाते हैं पर अगर हमारे विश्वास में तनिक
भी कमी है तो हम प्रभु की अनुकंपा से वंचित रह जाते हैं ।
एक संत लोहे की जंजीर बांधकर कुएं में लटक गए और
गांव वालों से कहा कि उन्हें प्रभु का पक्का भरोसा है कि जंजीर टूटने पर प्रभु
उन्हें कुएं में नीचे गिरने नहीं देंगे और अपनी बाहों में भर लेंगे । वे तीन दिन
तक लटके रहे पर कुछ नहीं हुआ । तभी एक भोला भक्त एक रस्सी लेकर यही प्रयोग पास के कुएं में करने गया । उसकी रस्सी लटकने पर टूट गई और प्रभु ने उसे अपनी बाहों
में भर कर थाम लिया और कुएं में डूबने नहीं दिया । सारे गांव वालों ने यह दृश्य
देखा । तभी संत ने प्रभु से पूछा कि मेरे लिए आप क्यों नहीं आए ? प्रभु ने बड़ा
मार्मिक उत्तर दिया कि तुम लोहे की जंजीर के सहारे लटके और लोहे की जंजीर पर
विश्वास किया, मुझ पर पूर्ण विश्वास नहीं किया । जबकि इस भोले भक्त
ने मुझ पर पूर्ण विश्वास किया और पतली रस्सी जो उसका भार नहीं संभल सकती थी उससे लटका, तब मुझे विश्वास के कारण तुरंत आना ही
पड़ा ।