प्रभु के यहाँ कुछ भी असंभव नहीं है । असंभव
शब्द प्रभु के शब्दकोश में है ही नहीं । प्रभु सर्वसामर्थ्यवान हैं और अपने संकल्प
मात्र से सब कुछ करने में पूर्ण सक्षम हैं ।
एक संत एक दृष्टांत देते थे कि जब माता बूढ़ी हो
जाती है तो सुई के छिद्र में चश्मा लगा कर बड़ी मुश्किल से धागा डालती है । पर
प्रभु अपने संकल्प मात्र से उस सुई के छिद्र से अनंत कोटि ब्रह्मांडों को पार कर
सकते हैं । सुनने में यह असंभव लगेगा कि ब्रह्मांड कितने विशाल होते हैं और सुई का
छिद्र कितना छोटा होता है पर प्रभु के लिए यह असंभव भी संकल्प मात्र से पूर्णतया
संभव हो जाता है । इससे प्रभु के सर्वसामर्थ्यवान होने का हमें भान होता है । ऐसा
कुछ भी नहीं, ऐसी कोई असंभव चीज की हम कल्पना भी नहीं कर सकते जो प्रभु मात्र
संकल्प से पूर्ण नहीं कर सकते । जो संभव है उसे प्रभु संभव करते हैं, जो असंभव है
उसे भी प्रभु संभव करते हैं और जो पूर्णतया और कल्पना में भी असंभव है उसे भी
प्रभु संभव करते हैं । इसलिए संत कहते हैं कि असंभव-से-असंभव परिस्थिति में भी
प्रभु पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए ।