प्रभु की शरणागति का बहुत बड़ा महत्व है । प्रभु की शरण में आने पर कोई
विपत्ति हमें परेशान नहीं कर सकती । प्रभु उन सबको शरण देते हैं जो उनकी शरणागति स्वीकार करना चाहते हैं ।
प्रभु की श्रीमद्
भगवद् गीताजी के अठारहवें अध्याय में घोषणा है कि प्रभु की शरण में आने पर प्रभु
हमें सभी पापों से मुक्त कर देंगे । दूसरा आश्वासन प्रभु का है कि “चिंता मत करो” क्योंकि प्रभु हमारे संरक्षण के लिए तैयार खड़े हैं । ये दोनों कितने बड़े आश्वासन हैं कि सभी जन्मों-जन्मों के संचित पापों से मुक्त कर देना और सभी चिंताओं का हरण कर लेना । संत कहते हैं कि दुराचारी-से-दुराचारी भी अगर प्रभु
की शरण में आता है और सच्चा पश्चाताप करता है और अपने द्वारा की गई गलती या पाप को
जीवन में नहीं दोहराने का संकल्प करता है तो प्रभु तत्काल उसे चिंताओं से निश्चिंत
कर पाप मुक्त कर देते हैं और उसका उद्धार कर देते हैं । यह प्रभु की कितनी विलक्षण
करुणा, कृपा और दया है ।