मनुष्य के अलावा जो पशु पक्षी भी प्रभु पर विश्वास करते हैं उनका अमंगल कभी नहीं होता । यह शाश्वत सिद्धांत है ।
एक संत एक कथा सुनाते थे । एक नीम के पेड़ पर ढेर सारे कौवे रहते थे । एक रात एक तोता आया और कहा कि मौसम खराब है और वह राह भटक गया है इसलिए एक रात का आश्रय दे दें । कौवों ने मना कर दिया और कहा कि यह नीम का पेड़ हमारा है । तोता ने विनम्रता से कहा कि पेड़ तो सभी प्रभु के होते हैं पर कौवों ने उसे भगा दिया । तोता कुछ दूर पर एक आम के वृक्ष में जाकर बैठा । तभी घनघोर वर्षा हुई और बड़े-बड़े ओले गिरने लगे । तोता जिस आम की डाली पर बैठा था वह टूटकर गिरी और तोता डाल टूटने की वजह से डाल की जगह के खोखले स्थान में अपने आप जाकर लुढ़क गया । ओले की मार से नीम के पेड़ के बहुत सारे कौवे घायल होकर जमीन पर गिर गए, कुछ तो मर भी गए पर तोता खोखली डाल में छिपे होने के कारण बच गया । उसका कुछ भी नहीं बिगड़ा । एक भी ओला या वर्षा की बूंद ने उसे छुआ तक नहीं । तोता रात भर आराम से प्रभु का सिमरन करता रहा और सुबह जब वर्षा रुक गई, ईश्वर को प्रणाम करके आकाश में उड़ गया । भरोसा होने के कारण प्रभु ने उस तोते की रक्षा की । सारांश यह है कि जो भी जीव प्रभु पर भरोसा करता है, प्रभु उसकी रक्षा अवश्य करते हैं और कठिन समय में उसे जरूर बचाते हैं ।